नाता हैं मेरा पुराना कुछ लोगो से:- ज्योति अग्रवाल

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नाता हैं मेरा पुराना कुछ लोगो से जिन्हे मैं यार कहती हूं,
बंदिश नहीं रंजिश नहीं पर फिर भी हर बार कहती हूं।।

हां बड़ा ही बड़बोला सा मन है मेरा नए लोगो से जुड़ जाता हैं,
पर मेरे बचपन के यार तुझे सच्चा उपहार कहती हूं।।

ली हैं उधार मैंने शायद कुछ तकलीफ़ उस ऊपर वाले से,
तुम्हारे साथ को हसी खुशी उसका करार कहती हूं।।

हो गई अनबन नाराज़गी तो ये ना समझना दोस्ती नहीं,
इसे तो दोस्तों की दुश्मनी का खट्टा मीठा प्रहार कहती हूं।।

दोस्त बनाने में विश्वास रखती है ज्योति इस मतलबी जमाने में भी,
और इसे दोस्तो का दिया बेमिसाल खूबसूरत साथ और प्यार कहती है।।
ज्योति अग्रवाल