गहलोत सरकार ने सरकारी खजाने की हालत बिगड़ती देख सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती का निर्णय लिया है। सरकार अपनी राजस्व आय को बचाने के लिए बहुत प्रयास कर चुकी है। पेट्रोल और शराब पर सरचार्ज और टैक्स लगाने के बावजूद भी खजाने की आय नहीं बढ़ी तो सरकार ने कर्मचारियों के वेतन कटौती पर जोर दे दिया।
इस बार फिर से मंत्रिमंडल से लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों तक के वेतन में कटौती का विचार है । वही सरकारी खर्चों पर पाबंदी लगा दी गई है। गहलोत सरकार जब से सत्ता में आई है तब से आर्थिक स्थिति खराब बता रही है। सरकार के बही खातों पर ध्यान दिया जाए तो इस वर्ष के मार्च माह में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में सरकार अपने बजट अनुमानों की 95.60% आय ही हासिल कर पाई है, जो कि पिछले साल से 2% कम है। किसानों की कर्ज माफी और बेरोजगारी भत्ते जैसी बड़ी चुनावी योजनाओं को पूरा करने हेतु सरकारी खजाने की हालत बिगड़ती चली गई।
कोरोना संकट के चलते राज्य सरकार एक बहुत बड़े संकट में फंस गई है। गहलोत सरकार ने इस वर्ष शराब से साढ़े बारह हजार करोड़ की आमदनी का लक्ष्य रखा है। अब आबकारी अधिकारियों के सामने यह चुनौती है कि वह इस लक्ष्य को कैसे पूरा करें। पेट्रोल डीजल पर भी ज्यादा वेट बढ़ाने पर सरकार को कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ। कोरोना काल में गहलोत सरकार के दोनों ही कार्य असफल रहे। केंद्र सरकार ने भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की यहां तक की जीएसटी में राज्य का हिस्सा भी नहीं दिया जा रहा है। इसलिए गहलोत सरकार परेशान होकर कर्मचारियों के वेतन कटौती पर आ गई।