पशु चिकित्सा कर्मचारियों व पशुपालकों की जान से खिलवाड़ करता पशुपालन विभाग👉🏼

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जागरण प्लस (धर्मवीर कुमावत) जयपुर। कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए सुरक्षात्मक संसाधन उपलब्ध कराने एवं गैर जरूरी विभागीय गतिविधियों को स्थगित करने के लिए पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ एवं पशु चिकित्सक संघ ने श्रीमान निदेशक पशुपालन विभाग को सौंपा ज्ञापन जिसमें बताया गया है कि वर्तमान में राज्य कोविड-19 महामारी के भीषण संकट काल में गुजर रहा है। प्रदेश के नागरिकों की जीवन रक्षा हेतु विभिन्न जिला कलेक्टर्स, राजनेताओं, व्यापारियों एंव बुद्धिजीवी वर्ग ने राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन लागू किए जाने हेतु विचार व्यक्त किए हैं। वर्तमान परिस्थिति में विषय की गंभीरता को देखते हुए गैर जरूरी गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। पशुपालन विभाग द्वारा खुरपका-मुंहपका टीकाकरण कार्यक्रम संचालित है । जिसके 9 चरण विभागीय कर्मियों ने पुर्णनिष्ठा व ईमानदारी से संपादित किए हैं परंतु वर्तमान में परिस्थितियां अनुकूल नहीं है एंव विभाग के पास कोविड-19 से बचाव हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है।

तथा संघ ने निम्नलिखित बिंदुओं पर पशुपालन विभाग को गौर फरमाने के निर्देश दिए हैं👉🏼
(1)खुरपका मुंहपका बीमारी से पशुधन की मृत्यु दर शुन्य हैं। यह कार्यक्रम अर्थव्यवस्था आधारित है। विभागीय अधिकारी/ कर्मचारियों का जीवन आर्थोपार्जन से महत्वपूर्ण है।
(2)प्रस्तावित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत पशु पालकों के घर-घर जाकर टैगिंग एवं टीकाकरण किया जाना चुनौतीपूर्ण है, एवं भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 सम्बन्ध में जारी दिशा निर्देशों के विपरीत है।
(3)वर्तमान परिस्थितियों में घर-घर जाकर टैगिंग व टीकाकरण किया जाना गैर जरूरी है इससे पशु चिकित्सक कर्मियों एवं पशुपालकों का जीवन संकट में आ सकता है।
(4)राज्य सरकार द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारियों कर्मचारियों के साथ दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं पशु चिकित्सा सेवाओं को आपातकालीन सेवाओं में सम्मिलित कर उनके साथ भावनात्मक ठगी की जा रही है। कर्मी को से संस्थागत ड्यूटी एवं टीकाकरण, पशु उपचार, कृत्रिम गर्भाधान, टैगिंग एवं अन्य पशुपालक के घर पहुंच सेवाओं के लिए आपातकालीन व्यवस्था के नाम पर बाध्य किया जा रहा है जबकि कर्मिको के वेतन से प्रतिमाह है 2 एवं 1 दिन की राशि काटी जा रही है तथा चुनाव आदि कार्यों में सेवाएं ली जा रही है जो सामान्य सवर्गों के कर्मिको के अनुरूप है।
(5)कोविड-19 से बचाव हेतु पशुपालन विभाग द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए उचित प्रबंध नहीं किए गए हैं जो भारत सरकार द्वारा टीकाकरण के संबंध में जारी निर्देशिका एवं केंद्र व राज्य सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा कोविड-19 से बचाव हेतु जारी गाइडलाइन का स्पष्ट उल्लंघन है।

(6)पशुपालन विभाग को प्रस्तावित टीकाकरण कार्यक्रम से पूर्व कर्मिको की जीवन सुरक्षा के प्रबंध यथा- थर्मल स्कैनर, अप्रेन,मास्क, रबड़ हैंड ग्लव्स, हैंड सैनिटाइजर, प्लेन प्रोटेक्टिंग ग्लास, बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल बैग्स, निडिल सिरिंज सहित कर्मिको के सुगम परिवहन के संसाधन टीकाकरण स्थल तक कोल्ड चैन संधारण की व्यवस्था आदि सुनिश्चित किए जाने आवश्यक है।
(7)पशुपालन विभाग द्वारा खुरपका- मुंहपका टीकाकरण कार्यक्रम आगामी दिनांक 12 अक्टूबर 2020 से प्रस्तावित है, परंतु कतिपय जिला संयुक्त निदेशकों द्वारा प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ होने की अवधारणा के वशीभूत होकर व पद का भय दिखा कर निर्धारित कार्यक्रम से पूर्व ही कर्मिको को बिना सुरक्षात्मक संसाधन उपलब्ध करवाएं घर-घर जाकर गैरजरूरी विभागीय गतिविधियों जैसे टैगिंग,कैम्प आदि कार्य के लिए बाध्य कर रहे हैं जिससे पशु चिकित्सा कर्मियों व पशुपालकों का जीवन संकट में आ गया है।
(8) राजस्थान पशु चिकित्सक संघ एवं राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ पूर्व में ही कोविड-19 को दृष्टिगत टीकाकरण अभियान एवं गैर जरूरी गतिविधियों कोई स्थगित किए जाने हेतु निवेदन कर चुके हैं।
(9) विभागीय संयुक्त निदेशको द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बगैर एंड्राइड फोन एवं डाटा चार्जेज एवं अन्य भत्ता उपलब्ध करवाएं इनाफ पोर्टल पर पशुधन पंजीकरण के लिए बाध्य किया जा रहा है। जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत आचरण है।

(10)प्रदेश में कई जिला अधिकारी एवं पशु चिकित्सालय एवं पॉलीक्लिनिक में कार्यरत कई पशु चिकित्सा अधिकारी एवं अधीनस्थ कर्मचारी कोविड-19 से ग्रस्त हो चुके हैं समीपस्थ राज्यों में कई पशु चिकित्सक कोविड-19 अपनी जान गवा चुके हैं तथा संघों द्वारा पत्र के माध्यम ‌से निवेदन किया गया है कि वर्णित बिंदुओं पर गौर फरमाते हुए तीन दिवस में उचित कार्यवाही करने का श्रम करावे कोविड-19 महामारी से कार्मिकों की रक्षा के उचित प्रबंध किए जाने एवं परिस्थितियां सामान्य होने तक समस्त गैरजरूरी गतिविधियों को स्थगित किए जाने के उपरांत भी यदि विभाग टीकाकरण कार्यक्रम सहित अन्य गैर जरूरी गतिविधियों को पशु चिकित्सा कर्मियों तथा पशु पालकों के जीवन पर वरीयता देता है, तो पशु चिकित्सा अधिकारी और कर्मचारी आत्मरक्षार्थ कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
पत्र निदेशक महोदय को राजस्थान पशु चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रजनीश गुप्ता, महासचिव डॉ महेश यादव व राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय सैनी एवं प्रमुख महामंत्री अर्जुन शर्मा के द्वारा सौंपा गया।