पशु व पशुपालक के लिए घातक साबित हुआ टैगिंग कार्य👉🏼

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जागरण प्लस (भरतपुर) । केन्द्र सरकार द्वारा संचालित एनडीसीपी अभियान के तहत लगाऐं जा रहे टैगिंग कार्य के दौरान भुसावर के निकट गांव बबेसर में एक भैंस टैग लगाने के बाद खडी नहीं हो पाई जिससे पशुपालक व टैगिंग टीम घबरा गयी।
जिसकी सुचना उच्च अधिकारियो को दी गई जिस पर उसके निरीक्षण व उपचार के लिए तीन पशु-चिकित्सकों की टीम नियुक्त की गई जिन्होंने उसका उपचार प्रदान किया।
लेकिन वायरल विडियो में पशुपालक चिन्तित ओर अधिकारियों के सामने अपने पशु की एवज में उसकी क़ीमत अस्सी हजार की मांग करते हुए नजर आ रहा था तथा अपने किमती पशु के खराब होने पर अधिकारियों पर गुस्सा भी हो रहा है।
तथा अन्य ग्रामीण भी अपने पशुओं के टैग लगाने से कतराने लगे है।
हम पशुपालन विभाग व सरकार से अनुरोध करते हैं ऐसी राष्ट्रीय व महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन व सफलता के लिए पशुधन सहायको की टीम बनाकर व टीम के साथ एक पशु चिकित्सक नियुक्त किया जाना चाहिए। जिससे ऐसी कोई धटना हो उसके डैमेज कंट्रोल के लिए तथा उपचार के लिए तुरंत अधिकारी की देखरेख में काम शुरू हो सके व कोई अप्रिय धटना को रोका जा सके क्योकि ऐसे प्रोग्राम में ऐसी धटना होना आम बात है इससे पशुपालकों की योजना को सफल बनाने में रुचि कम होती है ओर प्रोग्राम की सफलता मिलने की सम्भावना कम हो जाती है। तथा कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पशुपालन के कर्मचारियों से बात करने पर बताया गया कि टैगिंग प्रोग्राम में निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है👉🏼
(1) पशुपालक इस कार्य में रुचि नहीं रखता है क्योंकि वह सीधे नगद लाभ की बातें करता है।
(2) टैग लगा हुआ पशु असहज महसूस करता है, जिसमें वह कान को बार बार हिलाता है जिससे कान में धाव होने व सुजन होने की संभावना बन जाती है।।
(3) कई बार पशु का टैग कही उलझकर कान फट जाता है।
(4)इन सब कारणों से पशुपालक इस‌ कार्य में रुचि नहीं दिखाता ओर उनको समझाना मुश्किल हो जाता है।।